किरासन तेल(केरोसिन ऑइल)
मेरे एक सहपाठी के पिता के पास किरासन तेल की एजेंसी थी। यही से ये तेल, फिर गांव और आसपास के देहातों के छोटे छोटे दुकानदारों को वितरित किया जाता था।
उस समय इस तेल की खपत भी ज्यादा थी। उनका अच्छा खासा व्यवसाय था।
बिजली बहुत कम घरो में थी। रात में किरासन तेल से जलने वाली लालटेन या ढिबरी से ही काम चलता था।
हमारे एक शिक्षक ने सहपाठी को एक दो बार कह रखा था कि उन्हें ये तेल चाहिए। उसने शिक्षक को कह भी दिया था कि वो ला देगा पर किसी कारणवश अभी तक उनके घर पहुंचा नहीं पाया था।
कुछ दिनों बाद, जब हम दोनों ने होमवर्क नहीं किया था तो सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए कक्षा में थोड़ा पीछे जाकर बैठ गए।
ये सोचकर कि पीटेंगे तो भी हमारी बारी बाद में आएगी। तब तक शिक्षक भी शायद थोड़ा थक जाएँ इस परिश्रम से।
शिक्षक का चेहरा कुछ ज्यादा ही गुस्से में था। पहली दो तीन पंक्तियों के छात्रों की बुरी तरह पिटाई देखने के बाद ,मैं डरा सहमा अपनी बारी के इन्तजार में था।
शिक्षक को हमारी बेंच की ओर बढ़ता देखकर मैँ अपनी होने वाली मरम्मत के लिए खुद को तैयार कर ही रहा था कि सहपाठी जो किनारे मे बैठा हुआ था,खुद का नंबर आता देख , अपना ब्रह्मास्त्र निकाल बैठा, और शिक्षक को धीरे से बोल पड़ा, सर, आज विद्यालय की छुट्टी होते ही , हम तेल आपके घर पहुँचा देंगे।
शिक्षक का गुस्सा अब शांत हो चला था।
वो बाकी की कॉपियां बिना देखे लौट गए।
मैंने और मेरे पीछे बैठे छात्रों ने चैन की सांस ली।
सहपाठी मेरी ओर मुस्कुरा कर देख रहा था । उसके चेहरे से साफ दिख रहा था, ” आज मेरी वजह से बचे हो”