गांव की झलक
गांव के लोग होते हैं इतने भोले भाले,
कोई भी आकर उनसे अपना मतलब निकाले ।नहीं करते वह किसी के साथ भी धोखा ,
चाहे क्यों ना दिखाया जाए उन्हें एक पेटी खोखा।
वह हर रिश्ता निभाते हैं अपना मान कर,
वह कभी बुजुर्गों को नहीं छोड़ते बोझ जानकर।
घर पर यदि कोई आ जाए मेहमान ,
तो उनके लिए तैयार हो जाते हैं वह देने के लिए जान।
खुद से ज्यादा होता है उन्हें अपनों पर विश्वास,
फिर चाहे कभी ना हुआ हो उनके साथ इंसाफ ।
गांव में बसती है एक छोटी सी मासूमियत,
फिर चाहे ना हो उनके घर में कोई सहूलियत।
गांव के लोगों में होता है इतना अपनापन,
कि भगवान भी बनाना चाहे अपना घर
गांव में ,
यही तो है बस उन लोगों की छोटी सी नाव में।