Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2020 · 1 min read

गांव और शहर

पहचान बनाने अपनी खुद की शहर की चकाचौंध में हम आ गए,
आशियाना मानकर शहरों को सपनों का गांव को कहीं छोड़ आए,
खुले आंगन और माटी की महक छूट गई अब कोसों दूर,
क्यूंकि चार दीवारों को कमाने में जन्नत कहीं पीछे छोड़ आए,
वो बेमतलब की महफिलें गांव की आने लगी अब याद,
जब शहरों में मतलब के लोगों को पास अपने पाने लगे,
जब से चूल्हे की रोटी छोड़ शहर का खाना खाने लगे,
तब से हर रोज़ हकीम के घर हम यूं ही जाने लगे,
हवेली छोड़ गांव की शहर के चार दीवारों में इस कद्र हम कैद हो गए,
जब छोड़ा साथ शहर ने अपना तो गांव में जाने के लायक न रहे,
सही कहा था किसी ने मत जाओ जमीं अपनी छोड़कर
बाद में बड़ा पछताओगे,
भीगी पलकों से करोगे याद इस जमीं को पर चाहकर भी वापिस न आ पाओगे,
छोड़ी जो गांव की छाया शहर की रोशनी पाने को,
आज उसी छाया को तरस रहे जिंदगी में इक पल की खुशी पाने को

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमें अलग हो जाना चाहिए
हमें अलग हो जाना चाहिए
Shekhar Chandra Mitra
त्याग
त्याग
Punam Pande
मां से ही तो सीखा है।
मां से ही तो सीखा है।
SATPAL CHAUHAN
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
विषय तरंग
विषय तरंग
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
Shashi Mahajan
"प्रपोज डे"
Dr. Kishan tandon kranti
उसने सिला हमको यह दिया
उसने सिला हमको यह दिया
gurudeenverma198
नए साल का सपना
नए साल का सपना
Lovi Mishra
Below the earth
Below the earth
Shweta Soni
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
पूर्वार्थ
जीते जी होने लगी,
जीते जी होने लगी,
sushil sarna
संवादरहित मित्रों से जुड़ना मुझे भाता नहीं,
संवादरहित मित्रों से जुड़ना मुझे भाता नहीं,
DrLakshman Jha Parimal
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"आधुनिक नारी"
Ekta chitrangini
ये कैसी दीवाली
ये कैसी दीवाली
Satish Srijan
*आशाओं के दीप*
*आशाओं के दीप*
Harminder Kaur
सुबह-सुबह की लालिमा
सुबह-सुबह की लालिमा
Neeraj Agarwal
3951.💐 *पूर्णिका* 💐
3951.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ये जीवन अनमोल है बंदे,
ये जीवन अनमोल है बंदे,
Ajit Kumar "Karn"
🙅अंधभक्ति की देन🙅
🙅अंधभक्ति की देन🙅
*प्रणय*
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
Ravi Prakash
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
इश्क इवादत
इश्क इवादत
Dr.Pratibha Prakash
राना लिधौरी के बुंदेली दोहा
राना लिधौरी के बुंदेली दोहा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आजादी  भी अनुशासित हो।
आजादी भी अनुशासित हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
खालीपन
खालीपन
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...