Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2023 · 1 min read

गांधीवादी (व्यंग्य कविता)

व्यंग्य कविता

गांधीवादी

सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद
वे पक्के गाँधीवादी हैं।
तब तक कोई भी काम नहीं करते
जब तक कि गुलाबी, हरी, नीली, पीली
नोटों पर छपी गाँधी जी की फोटो का
स्वयं स्पर्श न कर लें।
वे हिसाब के इतने पक्के हैं
कि टेबल के नीचे से
मिलने वाले नोट भी
गिनकर लेते हैं।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायगढ़, छत्तीसगढ़

1 Like · 183 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*वो मेरी मांँ है*
*वो मेरी मांँ है*
Dushyant Kumar
हर‌ शख्स उदास है
हर‌ शख्स उदास है
Surinder blackpen
दीपावली की असीम शुभकामनाओं सहित अर्ज किया है ------
दीपावली की असीम शुभकामनाओं सहित अर्ज किया है ------
सिद्धार्थ गोरखपुरी
क्या पता वाकई मैं मर जाऊं
क्या पता वाकई मैं मर जाऊं
Ankit Kumar Panchal
जात आदमी के
जात आदमी के
AJAY AMITABH SUMAN
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
अगर आपमें क्रोध रूपी विष पीने की क्षमता नहीं है
अगर आपमें क्रोध रूपी विष पीने की क्षमता नहीं है
Sonam Puneet Dubey
इंडिया में बस एक कोलकाता ही है। जोधपुर, उदयपुर, मुंबई, मणिपु
इंडिया में बस एक कोलकाता ही है। जोधपुर, उदयपुर, मुंबई, मणिपु
*प्रणय प्रभात*
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
स्मृति
स्मृति
Neeraj Agarwal
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
Kalamkash
मनके मन की साधना,
मनके मन की साधना,
sushil sarna
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
मन ही मन में मुस्कुराता कौन है।
surenderpal vaidya
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
मन की गाँठें
मन की गाँठें
Shubham Anand Manmeet
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
Yogendra Chaturwedi
बेटी
बेटी
नूरफातिमा खातून नूरी
मंज़िल को तुम्हें यदि पाना हो ,तो चलते चलो तुम रुकना नहीं !
मंज़िल को तुम्हें यदि पाना हो ,तो चलते चलो तुम रुकना नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
"उडना सीखते ही घोंसला छोड़ देते हैं ll
पूर्वार्थ
4178.💐 *पूर्णिका* 💐
4178.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
पंकज परिंदा
तुम बिन
तुम बिन
Dinesh Kumar Gangwar
एक मीठा सा
एक मीठा सा
हिमांशु Kulshrestha
श्री शूलपाणि
श्री शूलपाणि
Vivek saswat Shukla
*** हम दो राही....!!! ***
*** हम दो राही....!!! ***
VEDANTA PATEL
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
सत्य कुमार प्रेमी
धर्म खतरे में है.. का अर्थ
धर्म खतरे में है.. का अर्थ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"प्रेम कर तू"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...