गांधीवादी (व्यंग्य कविता)
व्यंग्य कविता
गांधीवादी
सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद
वे पक्के गाँधीवादी हैं।
तब तक कोई भी काम नहीं करते
जब तक कि गुलाबी, हरी, नीली, पीली
नोटों पर छपी गाँधी जी की फोटो का
स्वयं स्पर्श न कर लें।
वे हिसाब के इतने पक्के हैं
कि टेबल के नीचे से
मिलने वाले नोट भी
गिनकर लेते हैं।
-डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायगढ़, छत्तीसगढ़