Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 2 min read

गांधारी

गांधारी

धृतराष्ट्र था अंधा जन्मजात,
सजीव नैनो के साथ
ओ गंधारी!
तुमने क्यों चुना अंधकार।
हम नहीं करना चाहते
प्रताड़ित धृतराष्ट्र को
वह बेचारा था किस्मत का मारा,
तुम तो बन सकती थी,
अंधे धृतराष्ट्र का सहारा।
क्यों बंद कर ली तुमने
अपनी खुली आंखें
क्यों कतर डाली स्वत: ही
तुमने अपने ही मन की पांखें,
यह कैसा पति धर्म निभाया
दिव्यांग का सहारा ना बन
तुमने खुद को पंगु बनाया
आंखों पर पट्टी बांधने का चयन
कहीं से भी नहीं था उचित
ना धर्म ना आस्था का प्रश्न
आंखें रहते अंधा बनने का कदम
बन गया बुनियाद महाभारत का
रक्त रंजित इतिहास का वरण ।
नहीं देख सकता था धृतराष्ट बंद आंखों से
अपनी संतानों का कुमार्गगामी होना
तुम तो रख सकती थी नज़र,
संतान के चाल,चलन और चरित्र पर
आंखों पर पट्टी बांध तुमने किया
घोर अधर्म अपनी ममता के साथ
राष्ट्र और समाज के साथ
और साथ ही इतिहास के साथ।

क्यों नहीं दिये संस्कार संतति को
क्यों किया पलायन संतति धर्म से
महाभारत का पाप क्यों लिया सिर
अपनी आंखों पर पट्टी बांध तुमने
अपनी संतान का भविष्य मसल डाला
न उसे कोई राह दिखाई न कोई दिया संस्कार
नहीं रहा उन्हें कर्तव्य का अहसास
उनका जुनून था केवल अधिकार
कौरव और पांडव थे तो
एक ही पूर्वज के जाये
एक ही गुरु के पढ़ाये -लिखाये
फिर क्यों थे पांडव इंसानियत के अवतार
कौरव सोच रहा थे केवल और केवल अधिकार
गिरते गये विचलन के गर्त में अबाध।

धिक्कार‌ रहा तुम्हें इतिहास
धिक्कार रही तुम्हें शतियां
धिक्कार रही तुम्हें
अपनी ही संततियां
नहीं उन्हें कोई सार्थक रास्ता दिखाया
युद्ध की हिंसा में उन्हें हविष्य बनाया
अगर तुम अपनी आंखें खुली रखती
कुंती की तरह तुम भी सुमाता बनती
संतान मोह त्याग नया इतिहास जनती
नारी- कुल के लिए एक उदाहरण बनती।।

Language: Hindi
1 Like · 135 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Santosh Khanna (world record holder)
View all
You may also like:
समय भी दो थोड़ा
समय भी दो थोड़ा
Dr fauzia Naseem shad
वर्षा का तांडव हुआ,
वर्षा का तांडव हुआ,
sushil sarna
16---🌸हताशा 🌸
16---🌸हताशा 🌸
Mahima shukla
यशस्वी भव
यशस्वी भव
मनोज कर्ण
सभी नेतागण आज कल ,
सभी नेतागण आज कल ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कुछ अजीब है यह दुनिया यहां
कुछ अजीब है यह दुनिया यहां
Ranjeet kumar patre
तन्हाई ही इंसान का सच्चा साथी है,
तन्हाई ही इंसान का सच्चा साथी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अपना मन
अपना मन
Neeraj Agarwal
कविता
कविता
Shiv yadav
सूरज को
सूरज को
surenderpal vaidya
🙅आज का मसला🙅
🙅आज का मसला🙅
*प्रणय*
परीक्षाएं आती रहेंगी जाती रहेंगी,
परीक्षाएं आती रहेंगी जाती रहेंगी,
जय लगन कुमार हैप्पी
आओ एक गीत लिखते है।
आओ एक गीत लिखते है।
PRATIK JANGID
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
आपस में अब द्वंद है, मिलते नहीं स्वभाव।
Manoj Mahato
तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई को जीते जीते
हिमांशु Kulshrestha
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
**ग़ज़ल: पापा के नाम**
Dr Mukesh 'Aseemit'
जीवन सूत्र (#नेपाली_लघुकथा)
जीवन सूत्र (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
समंदर इंतजार में है,
समंदर इंतजार में है,
Manisha Wandhare
We all have our own unique paths,
We all have our own unique paths,
पूर्वार्थ
हम तुमको अपने दिल में यूँ रखते हैं
हम तुमको अपने दिल में यूँ रखते हैं
Shweta Soni
प्यार और नौकरी दिनो एक जैसी होती हैं,
प्यार और नौकरी दिनो एक जैसी होती हैं,
Kajal Singh
"याद रखें"
Dr. Kishan tandon kranti
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
Kuldeep mishra (KD)
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
ओसमणी साहू 'ओश'
*जीवन समझो एक फुलझड़ी, दो क्षण चमक दिखाती (हिंदी गजल)*
*जीवन समझो एक फुलझड़ी, दो क्षण चमक दिखाती (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मुझसे जो भी होता है वो मैं करता हूॅं!
मुझसे जो भी होता है वो मैं करता हूॅं!
Ajit Kumar "Karn"
अपना यह गणतन्त्र दिवस, ऐसे हम मनायें
अपना यह गणतन्त्र दिवस, ऐसे हम मनायें
gurudeenverma198
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
कलम के हम सिपाही हैं, कलम बिकने नहीं देंगे,
दीपक श्रीवास्तव
जब ख्वाब भी दर्द देने लगे
जब ख्वाब भी दर्द देने लगे
Pramila sultan
Loading...