गाँव मढई मेला
गाँव मढई मेला
गाँव का मैदान,,
उसमे सब दुकान,,
ढाल मोर पंख,,
बाजे ढोल शंख,,
ग्वालों की टोली,,
बोले हर हर बोली,,
पंडो का जमावड़ा,,
चल रहा अखाड़ा,,
मुखिया और पटैल,,
बुजुर्ग दादू चले गैल,,
बच्चों है खुशहाल,,
मस्ती में मालामाल,,
हर घर मे मेहमान,,
होता है सब सम्मान,,
नई बहू घूमे मढ़ई,,
जाने समझे सबई,,
देवर भौजी की माजक,,
लाला खिलाओ खुराक,,
सब के मन की बात,,
सब परिवार है साथ,,
सबका है सम्मान,,
बने सब यजमान,,
बहु बेटिया खरीदे सामान,,
खाये पानी पूरी पकवान,,
मीठा की सजी दुकान,,
लड़का घूमे खाके पान,,
आसापास सभी गाँव के,,
बैठे देखो आम छांव के,,
ताल किनारे बड़ी शान,,
खेत से काट के लाये धान,,
मेला साल में एक बार,,
मिल बैठो सब साथी यार,,
प्रेम प्यार की जा है रीत,,
आओ गाये मढ़ई गीत,,
गाँव आज रौनक रही,,
सब मिल बैठे लगो सही,,
मिलजुल कर त्यौहार मनाये,,
खुशियों को घर घर पहुचाये,,
मनु मजा ले घर को आये,,,
ऐसे दिन सब कोई पाये,,,
,मानक लाल मनु,