गाँव की बारिश
बारिशों में जब शहर की सड़कों पर
जम जाता है पानी, कीचड़
और फिर बेचैन करने वाली उमस
तब याद आता है गाँव
बारिशों से महक उठते हैं
घर, आँगन, गलियाँ…
निखर उठते हैं खेत
धुल जाते हैं तुलसी चौरे,
और शाम…..
जैसे मौसम में शामिल हो गया हो
गाँव के चूल्हों का धुआँ
गोधूलि में रंभाती गायों का
घर लौटता जत्था
भेड़ों को घर वापस लाता गड़ेरिया…
मिट्टी में खेलते हुए बच्चे
और उन्हें झाड़, डांट डपट कर
घसीटते हुए घर ले जाती उनकी माएँ…