गाँव की बरसात
गाँवों की बरसात
जब गाँवों मे होती बरसातें,
संग मे अपने खुशियाँ लाते,
बारिश मे हम बाहर जाते,
मोंर वहाँ के नाचते जाते,
बच्चों को नए खेल खिलाते,
टर्र-टर्र कर मेंढक आते,
जब गाँवों मे होती बरसातें,
संग मे अपने खुशियाँ लाते ।
तेज वर्षा से बांध भर जाते
लोग वहा भ्रमण पर जाते
सब लोग मिलकर भुट्टा खाते
कुछ लोग वहा गीत भी गाते,
सब मिल फिर गप्पे लड़ाते,
कुछ लोग छतरी साथ मे लाते,
जब गाँवों मे होती बरसातें,
संग मे अपने खुशियाँ लाते।
हवा संग बादल भी आते,
साथ मे अपने जल भर लाते,
मेघ जब भारी हो जाते,
पृथ्वी को वो तृप्त कर जाते,
जब गाँवों मे होती बरसातें,
संग मे अपने खुशियाँ लाते।
–भवेश गुप्ता