गाँव इतना छोटा है
गाँव इतना छोटा है
कि कहीं छिप – छिप कर मिल नहीं सकते।
और फिर शहर इतना बड़ा है
कि हम एकदूसरे को ढूंढ नहीं पाते।।
(2018 : मैंने गांव और शहर के ठीक बीच सपना देखा)
गाँव इतना छोटा है
कि कहीं छिप – छिप कर मिल नहीं सकते।
और फिर शहर इतना बड़ा है
कि हम एकदूसरे को ढूंढ नहीं पाते।।
(2018 : मैंने गांव और शहर के ठीक बीच सपना देखा)