ग़रीब की बहू, सबकी भाभी
कोई देखे उसका चेहरा, कोई देखे उसकी नाभी
ग़रीब की बहू सबकी भाभी ।
सड़क पे दो चार आवारा
दो ब्याहे एक कुँवारा
ग़रीब की बहु उधर से निकले
1 ने मूछों पर तांव दी, 2 ने ज़ुल्फ़ों को सँवारा
पीछा करने को मोटरसाइकिल को लगाई चाबी
ग़रीब की बहू सबकी भाभी ।
अमीर की बहू सबकी बहन लगती है
ग़रीब की बहु सबकी भाभी लगती है
ग़रीब की बहू चले नीची नज़र करके
अमीर की बहू की नज़र नवाबी
ग़रीब की बहू सबकी भाभी ।
जिसकी लाठी उसकी भैंस ।
बिना लठ वाले की निकली पड़ी गैस ।
जिसकी नज़र कमज़ोर उसके पास चश्मा नहीँ
नज़रों वाला मॉडल लगावै आँखों में लैंस ।
अमीर पीवे तो शौक़, ग़रीब पीवे तो शराबी
ग़रीब की बहू सबकी भाभी ।
अमीर की बहू के पास लठ का ज़ोर
ग़रीब की बहू के पास बच्चों का शोर
अमीर की बहू सेफ़ एंड सिक्योर ।
ग़रीब की बहू पे मंडराते डाकू चोर
एक के पास मलमल, एक के पास क़िस्मत की ख़राबी
ग़रीब की बहू सबकी भाभी ।
ग़रीब की बहू चेहरे पर घूँघट, सादा चाल से चलती है
अमीर की बहू बिना घूँघट करके श्रृंगार से चलती है ।
“सुधीरा” लिखता है सच, ना दवाब ना कोई दवाबी
ग़रीब की बहू सबकी भाभी ।