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26 Jun 2024 · 1 min read

ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है

वो कूड़ा से कचरा बीन लेती है
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है

झोला को बैग मानकर टांग लेते
पेट के खातिर खाना मांग लेते
लाचारी जब दिल को नोचने लगे
जिंदगी में कई फैसला रांग लेते हैं

रात में चुप्पी तारे गिन लेती है
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है

जाने किसके हैं वो सताये हुए
धूप में पसीना से नहाये हुए
उड़ती रंग,फटे कपड़े,टूटें चप्पल
किस्मत पर आंसू बहाये हुए

दर्द,आंसू अपने अधीन लेती है
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है

जिंदगी ठहर- ठहर रूक जातीं हैं
कम उम्र में ही कमर झुक जातीं हैं
मुश्किल भरीं है ज़िन्दगी की राहें
आतें आते कामयाबी चूक जातीं हैं

वक्त पांव तलें की जमीन लेती है
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है ।

नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला -कुशीनगर

Language: Hindi
34 Views
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