ग़ज़ल _ अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ।
ग़ज़ल
बह्र …. 1222 1222 1222 1222 ,,,
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1,,,
अँधेरों रूबरू मिलना, तुम्हें किस्सा सुनाना है ,
मिली तन्हाइयों का, आखिरी दुखड़ा सुनाना है।
2,,,
ज़माने में हुई रुसवा , नहीं समझा हमें कोई ,
लिये बैठी हूं गठरी , दर्द का हिस्सा सुनाना है।
3,,,
उजाले उसको मिल जायें ,वही आबाद हो जाये,
तुम्हीं सुलझा सको शायद,यही मसला सुनाना है।
4,,,
ग़ज़ब की बात है दुनिया में भी गद्दार हैं बसते ,
भरोसा किस तरह कर लूं ,कहूं क्या क्या सुनाना है।
5,,,
दहल जाता है दिल मेरा ,कभी जब याद आ जाए ,
सुरीली तान में तुमको , मधुर मुखड़ा सुनाना है ।
6,,,
दफ़न हैं ख्वाहिशें दिल में , तुम्हें कैसे बताऊं अब ,
मुहब्बत में हमीं पर जो, किया हमला सुनाना है ।
✍️नील रूहानी,,, 31/08/2024,,,,
( नीलोफर खान )