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11 Nov 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

अभी आंसुओं से भीगी हैं
यूं तो पलकों पे ख़्वाब बहुत हैं
हमारे दामन में कांटे ही आए
खिलने को तो गुलाब बहुत हैं
इसमें ज़िंदगी तमाम होती है
मोहब्बत में अजाब बहुत है
भगतसिंह के देश में
आजकल कसाब बहुत हैं
हर कोई मारने मरने पर उतारू है
जेहन में तेजाब बहुत है
किसी को जीने नहीं देता
जमाना खराब बहुत है

1 Like · 2 Comments · 233 Views
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