ग़ज़ल 9
सब को इस बात से इंकार नहीं हो सकता
भेड़िया दश्त का सरदार नहीं हो सकता
तज़्रबा मेरा है बेकार नहीं हो सकता
शक अगर हो तो कभी प्यार नहीं हो सकता
झूठ के पर्दे में सच आप छुपाते क्यूँ हैं
कामयाबी का वो आधार नहीं हो सकता
दोस्ती में कोई नुकसान नहीं करता है
फूल कितना भी चुभे ख़ार नहीं हो सकता
कोई दिल देता है अपना कि यहाँ लेता है
इश्क़ तो पैसे का व्यापार नहीं हो सकता
साथ लड़ने से तो बेहतर है अलग हो जाना
कोई रिश्ते में गिरफ़्तार नहीं हो सकता
गुल तो तोहफ़े में मुझे चाहिए ताज़ा हरदम
ख़ुश्क फूलों का ‘शिखा’ हार नहीं हो सकता