ग़ज़ल
ज्ञान की गंगा बहादो सुर लबों पर नव सजा दो
दिल मिलें सबके ख़ुशी से प्रेम की ऐसी हवा दो//1
दूरियाँ अच्छी नहीं होती सुनों समझो हक़ीक़त
तुम मिलन को दोस्त पलकें राह में अब बिछा दो//2
इश्क़ सच्चा और झूठी हैं सभी बातें यार जग में
ये ख़बर अब तुम ज़माने को ज़रा खुलकर सुना दो//3
धूप ताज़ा रुत नया है अब ग़ज़ल भी सुन नयी हो
यार यौवन पर मुहब्बत का ज़रा चंदन घिसा दो//4
रेत के घर में हिफाज़त लिख रहा हूँ आजकल मैं
रब दुवा तुमसे ये बारिश से मिरा घर तुम बचा दो//5
आर. एस. ‘प्रीतम’