ग़ज़ल
जाने कब लौटकर आएगी मेरी चाहने बाली ।
नींद आंखों की दिल का सुकू चुराने बाली ।
एक लम्हा बो मेरे सामने अब आ जाए ।
मेरे ख्वाबों को अपनी तकदीर बनाने बाली ।
गुनाहगार नहीं है मेरी नज़रों में बो अब भी ।
कितनी मासूम है मेरे दिल को जलाने बाली ।
अपनी तन्हाई में इस कद्र रोता नहीं कोई।
अपने हाथों से मेरी तस्वीर बनाने बाली ।
नज़रों से दूर सही दिल में छुपा रखा है जिसे ।
अपना सब कुछ मेरी चाहत में लुटाने बाली ।
हैरत है मुझे उस पर कोई मंजिल नहीं हूं मैं।
ऐ दोस्त तेरा शुक्रिया मेरी जिंदगी में आने वाली।।