ग़ज़ल
वो कहते हैं हम तो ख़ुदा हो गए हैं
ख़ुदा जाने वो क्या से क्या हो गए हैं
कदमबोसी करते नज़र आते थे जो
वो लगता है अब आसमां हो गए हैं
न जाने हवाओं मे है शोर कैसा
कि परवत भी दहशतजदा हो गए हैं
ये दुनिया तो ऐसे ही चलती रहेगी
“चिराग़”आप क्यों ग़मज़दा हो गए हैं