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3 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

दर्द अब लोरियाँ सुनाता है ।
जागकर ख़ुद मुझे सुलाता है ।

छींक फसती है गले में जब भी,
कान कहते कोई बुलाता है ।

दौर चलते हैं जब भी खाँसी के,
वक़्त खट्टा तभी खिलाता है ।

आज इज़्ज़त हुई बहुत सस्ती,
हर कोई रोज़ ही लुटाता है ।

वो बहाता है पसीना ऐंसे,
ख़ून जैसे कोई बहाता है ।

ज़िंदग़ी मौत की सहेली है,
एक आता है एक जाता है ।

—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
2 Likes · 204 Views

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