ग़ज़ल
गोपालदास नीरज को समर्पित ग़ज़ल-
काफ़िया-ईत
रदीफ़-लिख दूँगी
वज़्न-1222 1222 1222 1222
तुम्हारी याद में नीरज नया एक गीत लिख दूँगी।
सँजोके आज सरगम में नया संगीत लिख दूँगी।
रचे हर भाव सौरभ में निहित अंतस विचारों में
समाकर रूप तन-मन में विरह की प्रीत लिख दूँगी।
करूँ श्रद्धा सुमन अर्पित सजल पूरित नयन वंदन
भगीरथ गीत गंगा के बनाकर जीत लिख दूँगी।
कलम-कागज़ उठा कर मैं उकेरूँ भाव शब्दों में
तुम्हें यादों में ज़िंदा रख जगत की रीत लिख दूँगी।
जलाए दीप राहों में तरसती आगमन को मैं
कहे ‘रजनी’ बनी शबरी तुम्हें मनमीत लिख दूँगी।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर