ग़ज़ल
मिले तुम जो सफ़र में हो तबीयत हो गई अच्छी
हुआ तुमसा मेरा दिल हर कि आदत हो गई अच्छी/1
तेरी हर बात में ज़ादू सुनूँ सुनता ही जाऊँ मैं
असर ये प्यार का सुनने की ताक़त हो गई अच्छी/2
नज़र तुमसे मिली भूला ज़माना सब हसीं मंज़र
किसी को चाहने की आज रहमत हो गई अच्छी/3
दिलों के मेल होते हैं रुहानी प्रेम की ख़ातिर
सुना था ये मगर देखा हिमायत हो गई अच्छी/4
मुहब्बत सीख ली जबसे खिली मुस्क़ान होठों पर
करूँ जो काम लगता है कि बरकत हो गई अच्छी/5
अगर हों भाव प्यारे तो सुने वो दाद देता है
यही ले फ़लसफ़ा मेरी लियाक़त हो गई अच्छी/6
मेरे ‘प्रीतम’ हमारा साथ सूरज-रोशनी जैसा
इसे देखा उसी की सुन इबादत हो गई अच्छी/7
शब्दार्थ:- रहमत- कृपा, हिमायत- तरफ़दारी, बरक़त- कमाई, लियाक़त- योग्यता, इबादत- पूजा
आर. एस. ‘प्रीतम’