ग़ज़ल
यहाँ सब काम हो जाते सही तदबीर जानो तो
उजाले हों चिराग़ों की अगर तक़दीर जानो तो/1
दुवाएँ भी दवाओं का सुनो तुम काम करती हैं
असर होता तभी है पर किसी की पीर जानो तो/2
किसी के ज़ख़्म पढ़ लेना तभी आसान होता है
कभी बहता हुआ आँखों से अंतर नीर जानो तो/3
भले बद लोग मिलते हैं जहां में देखिए खुलकर
समझ आए तभी पर आदमी तासीर जानो तो/4
मिलन हो दूध चावल का लिखे जल इस कहानी को
मिला मीठा पकी जो भी रसीली खीर जानो तो/5
जिसे जीवन हराना है चुरानी है अदा ताक़त
बड़ा बेशर्म है दिल का मिलो वह तीर जानो तो/6
लिखे ‘प्रीतम’ पढ़े संसार रब देना तसव्वुर वो
कभी ग़ालिब हुआ शायर कभी तुम मीर जानो तो/7
आर. एस. ‘प्रीतम’