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19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

हादसा – सा हो गया था ।
मैं जो , पैदा हो गया था ।

कर्ज़ चुकता हो गया था ।
फ़र्ज़ पूरा हो गया था ।

हसरतें अब भी ज़वाँ थीं,
वक़्त बूढ़ा हो गया था ।

हो रहा है जाने क्या-क्या ?
जाने क्या-क्या हो गया था ?

आदमी उतने ही थे , पर
ख़र्च दुगना हो गया था ।

हुई नहीं थी मदद उतनी,
जितना चर्चा हो गया था ।

घुस के जो , देखे तमाशे,
ख़ुद तमाशा हो गया था ।

— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
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