ग़ज़ल
:: हिंदी ग़ज़ल ::
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पहले ज़रा ठहरना बेटा !
फिर डग आगे धरना बेटा !
गत,आगत की फ़िक्र छोड़कर,
वर्तमान में रहना बेटा !
पहले मन को समझा लेना,
फिर कुछ और समझना बेटा !
मूल्यवान हों अधिक मौन से,
शब्द वही तुम कहना बेटा !
अपनी पीर छुपा लो मुझसे,
इतना भी मत डरना बेटा !
अनुशासन का दुर्गम पर्वत,
चढ़ना और उतरना बेटा !
मेरा तन-मन-धन तेरा है,
इसका सद्-व्यय करना बेटा !
जैसे ज्वलित दीप मंदिर में,
ऐसे जलते रहना बेटा !
००००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी