ग़ज़ल
यहाँ जिस बात पै पर्दा रहा है ।
उसी का ही यहाँ चर्चा रहा है ।
मिला है प्यार दुनिया का उन्हीं को,
मुहब्बत से जिन्हें शिकवा रहा है ।
वफ़ा ने भी यहाँ करतब दिखाए,
जफ़ा का भी यहाँ जलवा रहा है ।
ज़रा तारीख़ के पन्ने पलटिए,
हमारे हाथ बस धोखा रहा है ।
बहुत मँहगे हुए हैं भक्त लेकिन,
सदा ‘ईश्वर’ यहाँ सस्ता रहा है ।
—– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।