ग़ज़ल
थोड़ा – थोड़ा पागल हूँ मैं ।
पागलपन का कायल हूँ मैं ।
बरस पड़ूँगा तेरी जद में,
दीवाना इक बादल हूँ मैं ।
जिन आँखों ने नीर बहाया,
उन आँखों का काजल हूँ मैं ।
हाथों में इज़्ज़त के कँगना,
पाँव हया की पायल हूँ मैं ।
दिल से शांत-महासागर हूँ,
मुँह से नदिया चंबल हूँ मैं ।
कल भी था,अब भी हूँ लेकिन
आने भी बाला कल हूँ मैं ।
००००
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश – 470227