ग़ज़ल
दीदार कर ज़नाब का आए मज़ा मुझे
जिस पल रहूँ मैं दूर वही पल सज़ा मुझे/1
खिलते नहीं गुलाब बहारों के बिन कभी
ये सोच के हुज़ूर गले से लगा मुझे/2
मैं जान भी लुटा दूँ सनम प्यार में तिरे
आवाज़ दे क़रार अदा से बुला मुझे/3
तू ज़िंदगी में भूल मगर याद रख ज़रा
दम है तो रूह से अपनी भी भुला मुझे/4
भूले सभी हैं प्यार मिरा ख़ूब आज़मा
अब क्या फ़रेब देगा कोई बेवफ़ा मुझे/5
ये ज़िंदगी निसार वफ़ा आपकी मिले
लगता हसीं है प्यार का बस रास्ता मुझे/6
‘प्रीतम’ तू ज़िंदगी है मुहब्बत ग़ुमान है
मिलता तुझी से हरपल इक हौसला मुझे/7
आर.एस. ‘प्रीतम’