ग़ज़ल
नहीं मिलते सभी सुख हैं किसी को भी ज़माने में
गुज़ारो ज़िन्दगी चाहे यहाँ सारी कमाने में/1
विधाता ने लिखी क़िस्मत इबादत कर सदा इसकी
मगर कर कर्म ऐसा तू मज़ा आए सुनाने में/2
सुनाते हो निभाते ख़ुद नहीं बातें कही तुमने
भला है चुप नहीं हो फ़ायदा बातें बनाने में/3
बिछा दलदल बुराई का कभी सज्जन नहीं डूबे
यही दलदल करे पोषित कमल को नित हँसाने में/4
दवाई हार जाए जब दुवाएँ काम कर जाएँ
हमेशा साथ दे रब भी मुहब्बत को बचाने में/5
हृदय के भाव लिखता चल किसी के काम आ जाएँ
बड़ा सुख है किसी के ज़ख़्म पर मरहम लगाने में/6
किसी का ग़म अगर ख़ुद का लगे लगने समझ ‘प्रीतम’
छिपी इंसानियत दिल के किसी महके फ़साने में/7
आर. एस. ‘प्रीतम’