ग़ज़ल 6
तुझे देखे बिना चाहूँ ये हैरानी नहीं जाती
मेरे अंदर है मीरा सी जो दीवानी नहीं जाती
पता लग जाए दुनिया को मैं तुझसे मिल के जब आऊँ
चमक फिर देर तक चेहरे की नूरानी नहीं जाती
खुशी छोटी सही लेकिन हिफ़ाज़त से उसे रखना
दिलों में घर जो कर जाए तो वीरानी नहीं जाती
कि चेहरे पे कई चेहरे लगा जब लोग लेते हैं
नहीं जाती है आइनों की हैरानी नहीं जाती
जो औरों को बिना कारण बहुत तकलीफ देते हैं
यक़ीनन फिर तो उनकी भी परेशानी नहीं जाती
रगों में झूठ बहता है,जो डूबा लोभ लालच में
कि ऐसे धूर्त लोगों की बेईमानी नहीं जाती
नसीहत दो तो बच्चों को ‘शिखा’ तुम प्यार से देना
झिड़कने से कभी उनकी तो नादानी नहीं जाती