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2 Dec 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

कभी कोई निराशा आ सताए तो करें हम क्या
करेगा रब नहीं वश में हमारे जो करें हम क्या/१

करें हम कोशिशें हरपल हमारे हाथ में जो हैं
जिन्हें कर हम नहीं सकते भुला दें वो करें हम क्या/२

समय की धूप जानो वक़्त पर ही छाँव देती है
समय पहले नज़ारा और भूलें रो करें हम क्या/३

आर. एस. ‘प्रीतम’

1 Like · 363 Views
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