ग़ज़ल
कभी हक से हमें अपना कहो फिर प्यार देखो तुम
अँधेरे को उजाले में बदल दें यार देखो तुम/1
नहीं शेखी बघारेंगे करेंगे कह दिया जो भी
खिला गुलशन लिए दिल हैं कभी विस्तार देखो तुम/2
मिरे दिल की कहानी आँसुओं से पूछ लेना तुम
नहीं दर्पण से कम होगा किया इज़हार देखो तुम/3
बड़ी शिद्दत बड़ी उल्फ़त बड़ी हिक़मत लिए है दिल
उतरकर प्यार से दिल में मुहब्बत सार देखो तुम/4
दिले-अशआर अमानत कर सलामत लीजिएगा रख
मुलायम इश्क़ को जानाँ बना दिल हार देखो तुम/5
इज़ाज़त हो बहारों की कहीं से मोड़ लाऊँगा
अगर शक़ हो दिले-रुत आज़मा सौ बार देखो तुम/6
हँसे ‘प्रीतम’ मुहब्बत में जलाकर आग देखो तो
लिए बादल हूँ चाहत का बुझा दूँ धार देखो तुम/7
#आर. एस. ‘प्रीतम’