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9 Oct 2023 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल

सिखाया ज़िंदगी ने ज़ख्म क्यों भरते उभरते हैं
किसी तालीम की ख़ातिर मुहब्बत ये भी करते हैं/1

मिले जो भी नज़ारा सुन उसे दिल में बसा लेना
कभी टूटे हुए पत्ते नहीं शाखों से जुड़ते हैं/2

सभी ने वक़्त को कोसा शिक़ायत की है क़िस्मत से
कभी ख़ुद से नहीं पूछा ग़मों से हम क्यों टलते हैं/3

किसी को धूप प्यारी है किसी को छाँव की चाहत
हिमायत हम हमारी क्यों यहाँ ऊँची ही रखते हैं/4

नहीं मतलब किसी से है नहीं है आरज़ू उल्फ़त
मगर क्यों ज़श्न के दीपक इबादत में ही जलते हैं/5

ग़ज़ल किसकी हिफाज़त में लिखी मैंने नहीं जाना
यहाँ हर शब्द पर ज़ादू किसी छाती को छलते हैं/6

समझ आए न आए तो लिखो बोलो बताओ तो
मिले रब का लिखा ‘प्रीतम’ मगर दिल क्यों ये हिलते हैं/7

आर. एस. ‘प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल

Language: Hindi
1 Like · 120 Views
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