#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ अपने इतना ध्यान रखें…!!
【प्रणय प्रभात】
– अपनेपन में फ़र्क़ न आए, अपने इतना ध्यान रखें।
हम दरवाज़े पे दस्तक दें, वो आहट पे कान रखें।।
– जीवन एक दिये जैसा है, तिनके सी हस्ती अपनी।
तुम ही बतलाओ हम कब तक, ज़हनों में तूफ़ान रखें??
– एक तिलिस्म सजा के देखें, शायद बचना मुमकिन हो।
जिस्म लिए सड़कों पे घूमें, गुड़िया भीतर जान रखें।।
– ज़हन की ज़िद को अव्वल मानें या दिल की मजबूरी को?
दीवाने कहलाऐं या फिर, ख़ुद्दारी की शान रखें??
– हर इक महफ़िल अंजानी सी, तन्हाई ही बेहतर है।
अंधियारे की दीवारों में, कितने रोशनदान रखें??
– ख़ून के रिश्ते क्या होते हैं, और सिवा मजबूरी के?
दिल के रिश्तों की दुनिया में, थोड़ी सी पहचान रखें।।
– दबे पांव आने वाला भी, बिना तक़ल्लुफ़ आ पाए।
कूचा-ए-दिल को रातों में, थोड़ा सा सुनसान रखें।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)