ग़ज़ल
काफ़िया-आ
रदीफ़-कौन है
वज़्न- 2122 2122 2122 212
ग़ज़ल
राग छेड़ी सुरमयी मुझको रिझाता कौन है।
गीत अधरों पे सजा मुझको बुलाता कौन है।
मैं पवन का मस्त झोंखा बादलों को चूमता
वादियों में फूल से खुशबू चुराता कौन है।
मुस्कुरा बचपन सलौना खेलता मैं आँगना
चाँद पानी में दिखा मुझको हँसाता कौन है।
सागरों के तट बनाता नित घरौंदा प्यार का
ओस हाथों में लिए मुझको भिगोता कौन है।
शोखियाँ, मदहोशियाँ ज़ालिम अदाएँ छल गईं
दर्दे दिल साथी बना रिश्ता निभाता कौन है।
अश्क आँखों से छलकते खार सागर हो गए
हुस्न क़ातिल बन गया मुझको सताता कौन है।
ताकयामत भूल से न भूल पाएँगे तुझे
ज़ख्म शूलों से चुभा मुझको रुलाता कौन है।
थक गयी हैं धड़कनें साँसें भी’ मद्धिम चल रहीं
बेवफ़ाई कर यहाँ हमराज़ बनता कौन है।
हो सके ‘रजनी’ खुशी से अश्क पीना सीख ले
हौसला रख दे दुआ कब्रों में’ सोता कौन है।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
महमूरगंज, वाराणसी।(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर