#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
■ दुनिया को समझाए जो…!!
● ख़ुद ना समझे बात ज़रा सी, दुनिया को समझाए जो।
वो चारागर खाक़ बनेगा, ख़ुद के ज़ख़्म दिखाए जो।।
● संग रहेगा, साथ चलेगा, डटा रहेगा मौके पर।
वो आंधी में साथ टिकेगा, आंखों से डर जाए जो??
● अपने पास फ़क़त उम्मीदें, वो भी उसे सुपुर्द करें?
पल में तोला, पल में माशा, रंग नए दिखलाए जो।।
● लोच बहुत है सोच से लेकर लफ़्ज़ों तक में बंदे के।
हैरत मत करने लगिएगा, पत्थर का हो जाए जो।।
● कैसे मानें वो हमदम है, हमसाया हमराज़ उसे?
गर्द ज़रा चेहरे पर छाते, आईना दिखलाए जो।।
● आंसू पीना सीखो प्यारे! उससे मत दामन मांगो।
पल में सारी क़सम भुला के, वादों से फिर जाए जो।।
● जीते-जी जो हाल न पूछे, दो पल पास न बैठ सके।
वो किस मतलब का, मरने पर ही कोहराम मचाए जो।।
● उसको क्या समझाइश देना, मनचाहा कर लेने दो।
आंखों के सूने जंगल में, मन के मोर नचाए जो।।
■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)