ग़ज़ल
फूल तो फूल हैं शाखों पे सजे रहते हैं।
हम तो कांटे हैं हिफाजत में लगे रहते हैं।
हम तो आशिक हैं ज़माने को खबर है मेरी।
हम तो दीवाने है दीवाने बने रहते हैं।
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच
फूल तो फूल हैं शाखों पे सजे रहते हैं।
हम तो कांटे हैं हिफाजत में लगे रहते हैं।
हम तो आशिक हैं ज़माने को खबर है मेरी।
हम तो दीवाने है दीवाने बने रहते हैं।
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच