Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

तिरही ग़ज़ल
मापनी-२१२२ २१२२ २१२
काफिया-आना
रदीफ़- चाहिए

दर्द को दिल में छिपाना चाहिए।
अश्क आँखों में न आना चाहिए।

ज़ख्म उल्फ़त में मिले उपहार से
हर सितम को आजमाना चाहिए।

टूट दर्पण के हँसे टुकड़े सभी
दिल फ़रेबी का लजाना चाहिए।

ढूँढ़ लेती याद तेरी है मुझे
मकबरा दिल का बनाना चाहिए।

रख चिरागे याद,रजनी द्वार पर
रोशनी कर मुस्कुराना चाहिए।

डॉ रजनी अग्लरवाल”वाग्देवी रत्ना”
महमूरगंज, वाराणसी
संपादिका-साहित्य धरोहर

297 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all

You may also like these posts

एक पेड़ की हत्या (Murder of a Tree) कहानी
एक पेड़ की हत्या (Murder of a Tree) कहानी
Indu Singh
मौहब्बत जो चुपके से दिलों पर राज़ करती है ।
मौहब्बत जो चुपके से दिलों पर राज़ करती है ।
Phool gufran
तुम भी सर उठा के जी सकते हो दुनिया में
तुम भी सर उठा के जी सकते हो दुनिया में
Ranjeet kumar patre
"पारदर्शिता की अवहेलना"
DrLakshman Jha Parimal
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
मेहबूब की शायरी: मोहब्बत
Rajesh Kumar Arjun
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
हर तरफ़ रंज है, आलाम है, तन्हाई है
अरशद रसूल बदायूंनी
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
कवि रमेशराज
🙅FACT🙅
🙅FACT🙅
*प्रणय*
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
Ravi Betulwala
ये विज्ञान हमारी शान
ये विज्ञान हमारी शान
Anil Kumar Mishra
4476.*पूर्णिका*
4476.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गीतिका
गीतिका
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सोशल मीडिया
सोशल मीडिया
Pankaj Bindas
अलविदा
अलविदा
ruby kumari
देश हमारा
देश हमारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
यूएफओ के रहस्य का अनावरण एवं उन्नत परालोक सभ्यता की संभावनाओं की खोज
यूएफओ के रहस्य का अनावरण एवं उन्नत परालोक सभ्यता की संभावनाओं की खोज
Shyam Sundar Subramanian
प्रेम पत्र जब लिखा ,जो मन में था सब लिखा।
प्रेम पत्र जब लिखा ,जो मन में था सब लिखा।
Surinder blackpen
तेरी सारी बलाएं मैं अपने सर लेंलूं
तेरी सारी बलाएं मैं अपने सर लेंलूं
Rekha khichi
भजन -मात भवानी- रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
भजन -मात भवानी- रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
पैगाम
पैगाम
Shashi kala vyas
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
डॉ निशंक बहुआयामी व्यक्तित्व शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिंदगी फूल है और कुछ भी नहीं
जिंदगी फूल है और कुछ भी नहीं
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
भय की शिला
भय की शिला
शिवम राव मणि
*बसंत आया*
*बसंत आया*
Kavita Chouhan
*ताना कंटक एक समान*
*ताना कंटक एक समान*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम तो साजन रात के,
तुम तो साजन रात के,
sushil sarna
आनंद नंद के घर छाये।
आनंद नंद के घर छाये।
श्रीकृष्ण शुक्ल
Loading...