ग़ज़ल
ग़ज़ल
न तो रहमान से मतलब न तो है राम से मतलब
सियासी लोग हैं इनको तो क़त्ले-आम से मतलब
मुहब्बत के गुलों को छीन लेते हैं वो हाथों से
थमा देते हैं खंज़र इनको बस कोहराम से मतलब
सियासतदान हैं ये ढूँढ लेते बात मतलब की
कहाँ इनको किसी भी धर्म के पैग़ाम से मतलब
ग़रीबों के लिए दो वक़्त की रोटी भी है मुश्किल
इन्हें काजू से मतलब है उन्हें बादाम से मतलब
इन्हें नफ़रत सिखाना है मुहब्बत हमको फैलाना
‘अनीस’ अपने लिए तो है बस अपने काम से मतलब
– अनीस शाह ‘अनीस’