“ग़ज़ल”
“ग़ज़ल”
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मैंने पढ़ ली तेरे दिल की बात,अब तड़पाओ न ।
क्या तूने पूछा मेरे दिल का हाल, बतलाओ न ।।
तेरे ही इशारे पर तो अफसाने बनने शुरू हुए ।
अब बीच भॅंवर में लाकर मुझे तू बिसराओ न ।।
तुझे पाने के वास्ते सब कुछ दाॅंव पे लगाया मैंने ।
अब इससे ज़्यादा तनिक भी मुझे आजमाओ न ।।
जल्दी से हाॅं कह दो वरना बहुत ही देर हो जाएगी ।
कब से कर रहा हूॅं तेरा इंतज़ार, अब भरमाओ न ।।
जानता हूॅं कि बड़े घराने से ताल्लुकात रखती हो ।
पर मुझ गरीब पर तनिक दया करो, इठलाओ न ।।
‘अजित’ ने हमेशा से ही तुझे साफ-साफ कह दिया ।
फिर भी समझ न आया तो तू ही अब समझाओ न ।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 30 नवंबर, 2021.
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