ग़ज़ल
बैर से बन्धु दूरी बनायें
औ सदा प्यार का गीत गायें
गीत में शब्द ऐसे पिरोयें
जो सुनें वे सभी झूम जायें
ज़िन्दगी सम्पदा है पराई
पाप से ज़िन्दगी को बचायें
श्वेत हैं आपके वस्त्र सारे
ध्यान दें मैल होने न पायें
चाहते हैं जगाना जहाँ को
तो चलें आप भी जाग जायें
कष्टदाता हजारों पड़े हैं
आप अवधू जहाँ को हँसायें
अवधकिशोर ‘ अवधू
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