ग़ज़ल
//ग़ज़ल अभ्यास //
बहर : 1222 1222 1222 1222
यहाँ खामोश लब की बेजुबानी कौन पढ़ता है।
कि अश्क़ों में हुई जो गुम कहानी कौन पढ़ता है।।
नुमाइश के बुतों में हो रहे तब्दील हम सारे।
लिखी जो बात नूरानी दिलों की कौन पढ़ता है।।
जहाँ तारीफ ए इंसां महज़ व्यापार चलता हो ।
वहाँ बैचेन रातों की निशानी कौन पढ़ता है।।
जमाने में लगे है शोर गुल ही रिवायत अब।
दिलों में मौन शब्दों की रवानी कौन पढ़ता है।।
बनाये हैं दिलों में जो गुमां ए खास अब देखो।
लिखी गमगीन दास्ताँ ए जवानी कौन पढ़ता है।।
उषा शर्मा
जामनगर (गुजरात)
स्वरचित एवं मौलिक अधिकार सहित