रचना
हवा जब छुकर आ जाती
वहम नया पैदा ला जाती
बादल उमडता जाता
न ई याद तेरी छा जाती
चांद पिघल जाता है
याद मीठी हो, गा जाता
तेरा अफसाना, लगता
जब अंगड़ाई आ जाती
जब-जब आईना देखा
परछाई आकर पा जाती
जुबां कुछ यूँ मिसरी घुली
होठों पे हंसी आ जाती
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़