ग़ज़ल
तन्हा से छत पे बैठे हो, ठीक ठाक तो हो ?
क्या बात?खुद से लड़ते हो ठीक ठाक तो हो?
जगजीत सिंह को सुनते हो ,ठीक ठाक तो हो ?
ग़ालिब के शेर पढ़ते हो ठीक ठाक तो हो?
क्यों खुद ही हँसने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?
बिन बात रोने लगते हो ठीक ठाक तो हो ?
दुनिया की बातें करना,दुनिया की बातें सुनना,
तुम किससे बात करते हो ठीक ठाक तो हो?
सूबे सिंह सुजान