ग़ज़ल
ग़ज़ल
दुनिया में बहुत दर्द है मरहम भी चाहिए।
हर कदम पे जकड़न है कुछ दम भी चाहिए।।
राहें बहुत कठिन हैं मगर हौसले बड़े,
मजबूत फिर हमारे अब कदम भी चाहिए।
जो ख़ुशनुमा महक से हरिक फूल दे खिला,
ठहरी हुई चमन पर शबनम भी चाहिए।
हो सफ़र जब उदास या दुख का भी कहर हो,
ग़म ग़लत कर सके इक हमदम भी चाहिए।
जो ख़्वाब थे दिखे उनको असल तो करें,
कुछ हौसलों के सुंदर परचम भी चाहिए।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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