कविता
एक और एक दो के बजाय ग्यारा हो जाए
आदमी का आदमी फिर से सहारा हो जाए
इंसान को रोजगार और प्रेम ही तो चाहिए
विकसित देशों की तरह देश हमारा हो जाए
अब से भी ना प्रकृति को इतना छेड़िए
फिर देखिए पहले की तरह नज़ारा हो जाए
दूसरे का बुरा चाहने वाले का खुदा बख्शता नहीं
बड़ी कोठियों वाला भी हालत से बंजारा हो जाए
चीन ने तबाही मचाई जहां में” नूरी”कोरोना से
हमेशा रहता डर कब कौन खुदा को प्यारा हो जाए
नूरफातिमा खातून” नूरी”
3/5/2020