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11 Apr 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

सुख दुःख जुबां तो ‌‌‌छुपा लेते हैं
दिल का दर्द चेहरे बता देते हैं

ज़ालिम जफा कर चैन से सोवे
बेकसूरवार खुद को सजा देते है

सुकुन के लिए हम दर-दर भटके।
सितमगर लगी आग को हवा देते हैं

ऐसे लोग कहीं के नहीं हुआ करते
जो मौज -मस्ती में समय गंवा देते हैं

हुवा मिजाज कुछ इस तरह “नूरी “का
खुदा की याद में खुद को लगा देते हैं

नूरफातिमा खातून ” नूरी”
११/४/२०२०

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