ग़ज़ल
मेरे गांव का हर आदमी उदास क्यूं है
कल का सुनामी मंज़र आज याद क्यू है
लग रहा है वक्त थम सा गया है
सुबह कब होगा अभी रात क्यू है
दिल को सुकून नहीं मिलता कहीं
पहले नहीं था ऐसा तोआज क्यूं है
वो लीडर अमन की हवाएं नहीं बहाया
तो उसके सर पर चमकता ताज क्यू है
सुलझे नहीं उलझे हुए उलझने” नूरी”
इतना समझदार ये समाज क्यू है
नूरफातिमा खातून” नूरी”
६/४/२०२०