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29 Mar 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

असल हिन्दुस्तान तो गांव में रहता है
शहर तो कब का इण्डिया बन गया है

शैतान ही शैतान सरदार किसे चुने
लम्हा-लम्हा पहेलियां बन गया है

चौंक जाता है ज़रा सा आहट पर वो
कांच का जो आशिया बन गया है

कोई कैसे जिए भी या इलाही
ये माहौल भी माफिया बन गया है

बड़ा नाज़ है मेरे ज़माने को “नूरी”
रुखा- रुखा सा वादियां बन गया है

नूरफातिमा खातून “नूरी”
२९/३/२०२०

2 Likes · 2 Comments · 349 Views
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