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4 Jan 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

दिनांक – ३/१/२०२०
विषय – खट्टा / मीठा
विधा – ग़ज़ल
**************************

कभी मीठा कभी खट्टा कभी नमकीन सी राहें।
कभी हर्षित कभी पुलकित कभी गमगीन सी राहें।

मिला जीवन हमें जो यह बड़ा अनमोल है यारो-
कभी आसां कभी मुश्किल कभी संगीन सी राहें।

अकारण कुछ नहीं जग में सभी कुछ है ख़ुदा मर्जी-
कभी हँसना कभी रोना कहीं रंगीन सी राहें।

सफलताएं विफलताएं यही है स्वाद जीवन की-
कही भूलीं कही बिसरी कभी अलकीन सी राहें।

यहाँ सुख से सचिन कोई सदा दुख में कोई रहता-
कभी काली काभी रौशन कहीं मस़की़न सी राहें।

✍️पं. संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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