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8 Dec 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

अगर यकी नहीं आता तो आजमाओ मुझे,
अरे,
सच में अंदर से टूट गया हूं,
तू कहे तो बिखर कर दिखाऊं तुझे।

अजब आग है दिन-रात जलती है लोगों के अंदर,
पानी डालने से भी नहीं बुझती,
तू कहे तो बस्ती जलवा कर दिखलाऊं तुझे।

जिसे मैंने चाहा दिलों जान से,
अरे, उसने मुझे छोड़ दिया,
तू कहे तो उसे घर बुलाकर मिलवाऊ तुझे।

इतने दिनों से पत्थरों के साथ रह – रह कर पत्थर का हो गया हूं,
अरे,
तू कहे तो आपनी सिर्फ बातों से,
दिल तेरा तोड़ कर दिखाऊं तुझे।

लोग कहते हैं मेरे अंदर दिल नहीं,
अरे, क्यों नहीं है,
उसकी कहानी, तू कहे तो बिठाकर सुनाऊं तुझे।

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