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20 Sep 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

——-ग़ज़ल——

प्यार का-ये—-सिला—दे गया
दर्दो-ग़म—-बे वफ़ा—दे गया

बेक़ली बेबसी बेख़ुदी
और न पूछो कि क्या दे गया

ले के आँखों की नीदें मेरी
वो फ़कत रतज़गा दे गया

हर निशानी मिटा जीस्त की
जीने की वो सज़ा दे गया

पहले दामन छुड़ा कर मुझे
मौत का फिर पता दे गया

ज़िन्दगी छीन कर वो मेरी
जीते जी ही क़जा दे गया

जिसको “प्रीतम” दिया था चमन
रास्ता ख़ार सा दे गया

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)

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